रामकृष्ण केयर में घुटनों का अत्याधुनिक इलाज

3 घंटों में ही मरीज चलने लगेगा-डॉ. सिंघल रायपुर, 23 जून। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के ऑपिडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. अंकुर सिंघल ने बताया कि घुटनों में तकलीफ होने के बावजूद अधिकांश लोग इसका ऑपरेशन कराने से इसलिए बचते हैं क्योंकि उनमें भ्रांति है कि उनका कुदरती घुटना बदल दिया जाएगा। डॉ. सिंघल ने बताया कि एक बार ऑपरेशन हुआ तो फिर दोबारा खराब हो जाएगा, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। ऑपरेशन में घुटने बदले नहीं जाते बल्कि उसकी ऊपरी परत पर काम होता है। अब इसका अत्याधुनिक उपकरणों से इस तरह इलाज हो रहा है कि ऑपरेशन के तीन घंटे बाद ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है ओर वह सामान्य रूप से चलने लग जाता है। डॉ. सिंघल ने बताया कि रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में घुटनों की सबसे आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। इसमें मरीज का पुराना घुटना नहीं बदला जाता केवल सरफेस का ऑपरेशन होता है। चीरा भी छोटा सा लगता है और र मरीज 3 घंटे में चल फिर सकता है। कुछ दिन बाद पैर लटका कर आराम से टीवी भी देख सकता है। ऑपरेशन के बाद सालों साल इसके दोबारा इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में एक अलग विभाग सिर्फ ज्वाइंट सर्जरी के लिए तैयार की गई है। डॉ. सिंघल ने बताया कि घुटनों के कारण चलने में तकलीफ होती है तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। जब हम चलना-फिरना बंद करते हैं तो मोटापा, हार्ट, ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी खतरा बढ़ता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 99.9 प्रतिशत लोगों को पता नहीं है कि घुटनों को खराब होने से बचाने के लिए क्या करना चाहिए और अब किस आधुनिक पद्धति से इसका इलाज किया जा रहा है। इसलिए आज बिलासपुर में जागरूकता के लिए एक फ्री कैंप भी लगाया गया है। पहले यह काफी महंगा इलाज था लेकिन अब 4 लाख के भीतर सर्जरी हो जाती है। अभी यह आयुष्मान योजना में शामिल नहीं है, पर जरूरतमंद लोगों के लिए कई समाजसेवी संस्थाएं सहायता करती हैं। डॉ. सिंघल ने यह भी बताया कि महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद 50 वर्ष की उम्र से तथा पुरुषों में 55 से 60 वर्ष के बीच घुटनों में तकलीफ शुरू होती है। मगर कुछ व्यायाम करके लंबे समय तक इसे ठीक रखा जा सकता है।

रामकृष्ण केयर में घुटनों का अत्याधुनिक इलाज
3 घंटों में ही मरीज चलने लगेगा-डॉ. सिंघल रायपुर, 23 जून। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के ऑपिडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. अंकुर सिंघल ने बताया कि घुटनों में तकलीफ होने के बावजूद अधिकांश लोग इसका ऑपरेशन कराने से इसलिए बचते हैं क्योंकि उनमें भ्रांति है कि उनका कुदरती घुटना बदल दिया जाएगा। डॉ. सिंघल ने बताया कि एक बार ऑपरेशन हुआ तो फिर दोबारा खराब हो जाएगा, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। ऑपरेशन में घुटने बदले नहीं जाते बल्कि उसकी ऊपरी परत पर काम होता है। अब इसका अत्याधुनिक उपकरणों से इस तरह इलाज हो रहा है कि ऑपरेशन के तीन घंटे बाद ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है ओर वह सामान्य रूप से चलने लग जाता है। डॉ. सिंघल ने बताया कि रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में घुटनों की सबसे आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। इसमें मरीज का पुराना घुटना नहीं बदला जाता केवल सरफेस का ऑपरेशन होता है। चीरा भी छोटा सा लगता है और र मरीज 3 घंटे में चल फिर सकता है। कुछ दिन बाद पैर लटका कर आराम से टीवी भी देख सकता है। ऑपरेशन के बाद सालों साल इसके दोबारा इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में एक अलग विभाग सिर्फ ज्वाइंट सर्जरी के लिए तैयार की गई है। डॉ. सिंघल ने बताया कि घुटनों के कारण चलने में तकलीफ होती है तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। जब हम चलना-फिरना बंद करते हैं तो मोटापा, हार्ट, ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी खतरा बढ़ता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 99.9 प्रतिशत लोगों को पता नहीं है कि घुटनों को खराब होने से बचाने के लिए क्या करना चाहिए और अब किस आधुनिक पद्धति से इसका इलाज किया जा रहा है। इसलिए आज बिलासपुर में जागरूकता के लिए एक फ्री कैंप भी लगाया गया है। पहले यह काफी महंगा इलाज था लेकिन अब 4 लाख के भीतर सर्जरी हो जाती है। अभी यह आयुष्मान योजना में शामिल नहीं है, पर जरूरतमंद लोगों के लिए कई समाजसेवी संस्थाएं सहायता करती हैं। डॉ. सिंघल ने यह भी बताया कि महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद 50 वर्ष की उम्र से तथा पुरुषों में 55 से 60 वर्ष के बीच घुटनों में तकलीफ शुरू होती है। मगर कुछ व्यायाम करके लंबे समय तक इसे ठीक रखा जा सकता है।