भीषण गर्मी का सेहत और जीवन पर क्या असर होता है

पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध का ज्यादातर हिस्सा भीषण गर्मी का सामना कर रहा है. प्रशासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ लोगों को सुरक्षित रहने के लिए चेतावनी दे रहे हैं. आखिर यह भीषण गर्मी इंसानों पर क्या असर डालती है. (dw.com.hi) चीन, भारत, मध्य पूर्व, दक्षिणी यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में ऊंचा तापमान नया रिकॉर्ड बनाने की आशंका पैदा कर रहा है. भीषण गर्मी सेहत पर कई तरह से असर डालती है. गर्मी की वजह से शरीर को थकावट का अनुभव होता है. इसमें सिरदर्द, चक्कर आना, प्यास और शरीर के लड़खड़ाने जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है. आमतौर पर यह गंभीर नहीं होता है. 30 मिनट के अंदर अगर ठंडक मिल जाए तो ये समस्याएं अपने आप खत्म भी हो जाती है. सबसे गंभीर समस्या है लू लगना. यह स्थिति तब आती है शरीर के अंदर का तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है. यह सेहत के लिए आपातकाल की स्थिति है. इसकी वजह से लंबे समय के लिए कोई अंग बेकार या फिर मौत भी हो सकती है. सांस की गति तेज होना, उलझन या फिर सदमा और मितली आना इसके सामान्य लक्षण हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान आने वाले सालों में लगातार बढ़ता ही जाएगा. ऐसे में नमी का खतरा भी बढ़ने की आशंका है. गर्म हवाएं ज्यादा नमी को रोके रख सकती हैं. हवा में ज्यादा नमी होने का मतलब है कि पसीना नहीं आएगा जिससे कि शरीर ठंडा हो और उसे राहत मिल सके. गर्मी का सबसे ज्यादा खतरा किसे? गर्मी का खतरा कुछ लोगों के लिए ज्यादा है. इसमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे पहले आते हैं. इसके साथ ही उन लोगों के लिए भी ज्यादा खतरा है. जो ज्यादा देर तक गर्म वातावरण में काम करते या फिर रहते हैं जैसे कि बेघर लोग. इन लोगों में अगर पहले से सांस या दिल की बीमारी हो या फिर डायबिटीज हो तो इनके लिए खतरा गर्मी की वजह से कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. कई देशों में गर्मी को मौत की खास वजह के रूप में दर्ज नहीं किया जाता. इस वजह से इन देशों में गर्मी का खतरा झेल रहे समुदायों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है. हालांकि 2021 में विज्ञान पत्रिका द लांसेट ने एक रिसर्च के जरिए बताया था कि हर साल लगभग पांच लाख लोगों की मौत अत्यधिक गर्मी की वजह से हो रही है. यह आंकड़े सही तस्वीर नहीं दिखाते क्योंकि कम आय वाले कई देशों में गर्मी से होने वाली मौत का आंकड़ा मौजूद नहीं है. भारत में भी गर्मी से सैकड़ों लोगों के मरने की बात कही जा रही है. यूरोप में बहुत से लोग 2022 जैसी गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं. उस साल यहां गर्मी की वजह से 61,000 लोगों की मौत हुई थी. गर्मी से खतरा आने वाले दशकों में और बढ़ते रहने की आशंका है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान लगातार ऊपर ही जा रहा है. गर्मी के वो खतरे जो दिखाई नहीं देते शरीर के अंदर के तापमान को प्रभावित करने के साथ ही अत्यधिक गर्मी कई और खतरे पैदा कर सकती है. गर्म वातावरण बैक्टीरिया और कवकों के विकास को बढ़ावा देता है. इसकी वजह से गर्मी बढ़ने पर हैजे जैसी बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया पानी को प्रदूषित कर सकते हैं. इसके साथ ही तालाब, कुएं या इस तरह के जलस्रोत जहरीले कवकों की वजह से पीने के लायक नहीं रहते. गर्मी फसलों को भी बर्बाद कर देती है जिसके कारण खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा होती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विशेषज्ञों को आशंका है कि 2030 के बाद जलवायु से जुड़े चार खतरों के कारण सेहत पर आया संकट हर साल मरने वाले लोगों की संख्या 2,50,000 और बढ़ जाएगी. यह खतरे हैं गर्मी, खाद्य असुरक्षा की वजह से कुपोषण, मलेरिया और डायरिया. गर्मी के कारण सूखने वाले पेड़ और झाड़ियां जंगल की आग को न्यौता देते हैं और फिर भयानक स्तर का वायु प्रदूषण होता है. इसकी वजह से फेफड़ों में सूजन और ऊतकों को नुकसान होता है. रिसर्चों से पता चला है कि अत्यधिक गर्मी और जंगल की आग के धुएं के संपर्क में आने की वजह से नवजात शिशुओं का वजन घटता है और इनके संपर्क में मां के आने से बच्चे समय से पहले पैदा भी हो जाते हैं. गर्मी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर होता है. गर्मी बढ़ने से लोगों के नींद की आदतें खराब हो जाती हैं और मानसिक स्वास्थ्य के और बिगड़ने का खतरा रहता है. समय का प्रभाव विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा मौतें तब होती हैं जब लोगों के शरीर को गर्मी के लिए तैयार होने का मौका नहीं मिलता. यानी जब गर्मी का मौसम एकाएक धावा बोल देता है. इसके साथ ही जगह का भी प्रभाव होता है. ऐसी जगहों के लोगों के लिए ज्यादा खतरा है जिन्हें इस तरह की गर्मी झेलने की आदत नहीं है. इनमें यूरोप के कुछ हिस्से शामिल हैं. भीषण गर्मी के मौसम में घर से बाहर निकलना बेहद खतरनाक है. कुछ देशों और इलाकों में इसी वजह से स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और दुकान और दफ्तरों के लिए कामकाजी घंटे दिन के वक्त घटाए जाते हैं. कई जगहों पर तो दोपहर में पूरी तरह से काम ठप्प कर दिया जाता है. भीषण गर्मी से बचने के लिए क्या करें अमेरिका और भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों ने लोगों के लिए सलाह और दिशानिर्देश जारी किए हैं. लोगों को ठंडा रहने की सलाह दी जा रही है. जितना संभव हो घर के अंदर रहने और लगातार पानी या तरल पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में पानी की मौजूदगी लगातार एक स्तर तक बनी रहे. अधिकारी इस प्रयास में हैं कि कूलिंग सेंटर बनाएं. लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने की कोशिशें हो रही हैं और साथ ही सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त एसी की व्यवस्थाएं विकसित की जा रही हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक कामकाजी लोगों को ज्यादा ब्रेक लेना चाहिए और साथ ही अपने कपड़े भी बदलने चाहिए. बुजुर्ग और कमजोर लोगों का ध्यान रखा जाना खासतौर से बहुत जरूरी है. लू लगना एक आपातकालीन स्थिति है और इसमें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. एनआर/एडी (रॉयटर्स)

भीषण गर्मी का सेहत और जीवन पर क्या असर होता है
पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध का ज्यादातर हिस्सा भीषण गर्मी का सामना कर रहा है. प्रशासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ लोगों को सुरक्षित रहने के लिए चेतावनी दे रहे हैं. आखिर यह भीषण गर्मी इंसानों पर क्या असर डालती है. (dw.com.hi) चीन, भारत, मध्य पूर्व, दक्षिणी यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में ऊंचा तापमान नया रिकॉर्ड बनाने की आशंका पैदा कर रहा है. भीषण गर्मी सेहत पर कई तरह से असर डालती है. गर्मी की वजह से शरीर को थकावट का अनुभव होता है. इसमें सिरदर्द, चक्कर आना, प्यास और शरीर के लड़खड़ाने जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है. आमतौर पर यह गंभीर नहीं होता है. 30 मिनट के अंदर अगर ठंडक मिल जाए तो ये समस्याएं अपने आप खत्म भी हो जाती है. सबसे गंभीर समस्या है लू लगना. यह स्थिति तब आती है शरीर के अंदर का तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है. यह सेहत के लिए आपातकाल की स्थिति है. इसकी वजह से लंबे समय के लिए कोई अंग बेकार या फिर मौत भी हो सकती है. सांस की गति तेज होना, उलझन या फिर सदमा और मितली आना इसके सामान्य लक्षण हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान आने वाले सालों में लगातार बढ़ता ही जाएगा. ऐसे में नमी का खतरा भी बढ़ने की आशंका है. गर्म हवाएं ज्यादा नमी को रोके रख सकती हैं. हवा में ज्यादा नमी होने का मतलब है कि पसीना नहीं आएगा जिससे कि शरीर ठंडा हो और उसे राहत मिल सके. गर्मी का सबसे ज्यादा खतरा किसे? गर्मी का खतरा कुछ लोगों के लिए ज्यादा है. इसमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे पहले आते हैं. इसके साथ ही उन लोगों के लिए भी ज्यादा खतरा है. जो ज्यादा देर तक गर्म वातावरण में काम करते या फिर रहते हैं जैसे कि बेघर लोग. इन लोगों में अगर पहले से सांस या दिल की बीमारी हो या फिर डायबिटीज हो तो इनके लिए खतरा गर्मी की वजह से कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. कई देशों में गर्मी को मौत की खास वजह के रूप में दर्ज नहीं किया जाता. इस वजह से इन देशों में गर्मी का खतरा झेल रहे समुदायों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है. हालांकि 2021 में विज्ञान पत्रिका द लांसेट ने एक रिसर्च के जरिए बताया था कि हर साल लगभग पांच लाख लोगों की मौत अत्यधिक गर्मी की वजह से हो रही है. यह आंकड़े सही तस्वीर नहीं दिखाते क्योंकि कम आय वाले कई देशों में गर्मी से होने वाली मौत का आंकड़ा मौजूद नहीं है. भारत में भी गर्मी से सैकड़ों लोगों के मरने की बात कही जा रही है. यूरोप में बहुत से लोग 2022 जैसी गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं. उस साल यहां गर्मी की वजह से 61,000 लोगों की मौत हुई थी. गर्मी से खतरा आने वाले दशकों में और बढ़ते रहने की आशंका है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान लगातार ऊपर ही जा रहा है. गर्मी के वो खतरे जो दिखाई नहीं देते शरीर के अंदर के तापमान को प्रभावित करने के साथ ही अत्यधिक गर्मी कई और खतरे पैदा कर सकती है. गर्म वातावरण बैक्टीरिया और कवकों के विकास को बढ़ावा देता है. इसकी वजह से गर्मी बढ़ने पर हैजे जैसी बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया पानी को प्रदूषित कर सकते हैं. इसके साथ ही तालाब, कुएं या इस तरह के जलस्रोत जहरीले कवकों की वजह से पीने के लायक नहीं रहते. गर्मी फसलों को भी बर्बाद कर देती है जिसके कारण खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा होती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विशेषज्ञों को आशंका है कि 2030 के बाद जलवायु से जुड़े चार खतरों के कारण सेहत पर आया संकट हर साल मरने वाले लोगों की संख्या 2,50,000 और बढ़ जाएगी. यह खतरे हैं गर्मी, खाद्य असुरक्षा की वजह से कुपोषण, मलेरिया और डायरिया. गर्मी के कारण सूखने वाले पेड़ और झाड़ियां जंगल की आग को न्यौता देते हैं और फिर भयानक स्तर का वायु प्रदूषण होता है. इसकी वजह से फेफड़ों में सूजन और ऊतकों को नुकसान होता है. रिसर्चों से पता चला है कि अत्यधिक गर्मी और जंगल की आग के धुएं के संपर्क में आने की वजह से नवजात शिशुओं का वजन घटता है और इनके संपर्क में मां के आने से बच्चे समय से पहले पैदा भी हो जाते हैं. गर्मी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर होता है. गर्मी बढ़ने से लोगों के नींद की आदतें खराब हो जाती हैं और मानसिक स्वास्थ्य के और बिगड़ने का खतरा रहता है. समय का प्रभाव विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा मौतें तब होती हैं जब लोगों के शरीर को गर्मी के लिए तैयार होने का मौका नहीं मिलता. यानी जब गर्मी का मौसम एकाएक धावा बोल देता है. इसके साथ ही जगह का भी प्रभाव होता है. ऐसी जगहों के लोगों के लिए ज्यादा खतरा है जिन्हें इस तरह की गर्मी झेलने की आदत नहीं है. इनमें यूरोप के कुछ हिस्से शामिल हैं. भीषण गर्मी के मौसम में घर से बाहर निकलना बेहद खतरनाक है. कुछ देशों और इलाकों में इसी वजह से स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और दुकान और दफ्तरों के लिए कामकाजी घंटे दिन के वक्त घटाए जाते हैं. कई जगहों पर तो दोपहर में पूरी तरह से काम ठप्प कर दिया जाता है. भीषण गर्मी से बचने के लिए क्या करें अमेरिका और भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों ने लोगों के लिए सलाह और दिशानिर्देश जारी किए हैं. लोगों को ठंडा रहने की सलाह दी जा रही है. जितना संभव हो घर के अंदर रहने और लगातार पानी या तरल पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में पानी की मौजूदगी लगातार एक स्तर तक बनी रहे. अधिकारी इस प्रयास में हैं कि कूलिंग सेंटर बनाएं. लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने की कोशिशें हो रही हैं और साथ ही सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त एसी की व्यवस्थाएं विकसित की जा रही हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक कामकाजी लोगों को ज्यादा ब्रेक लेना चाहिए और साथ ही अपने कपड़े भी बदलने चाहिए. बुजुर्ग और कमजोर लोगों का ध्यान रखा जाना खासतौर से बहुत जरूरी है. लू लगना एक आपातकालीन स्थिति है और इसमें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. एनआर/एडी (रॉयटर्स)