एनटीपीसी तिलाईपाली के कोयले की हो रही तस्करी

रेल साईडिंग की बजाए खेतों में डंप हो रहा कोयला कार्रवाई के नाम पर लीपापोती छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 1 जुलाई। एनटीपीसी तिलाईपाली की खदानों से निकलने वाला कोयला तस्करों के लिये नोट छापने की मशीन बन गया है और इस मामले में जब शिकायत की जाती है, तब राजनीतिक दबाव से न केवल कार्रवाई रोक दी जाती है बल्कि कथित तौर पर जब्ती कोयला तस्करी करने वालों को ही सुपुर्द करके मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। रायगढ़ जिले के घरघोड़ा ब्लॉक में आने वाले ग्राम फगुरम का यह मामला है, जहां एक खेत में दो हजार से भी अधिक टन कोयला तिलाईपाली के कारीछापर रेल साइडिंग की बजाए खेतों में ही डंप कर दिया जाता है, लेकिन जब शिकायत होती है तब क्षेत्र के एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी, माइनिंग विभाग की टीम पहुंचती जरूर है, लेकिन तस्करी करने वाले कौन थे, किसका कोयला था ये सभी सवाल, सवाल बनकर प्रशासन के लिए अबूझ पहेली बन गए हैं। काले हीरे की तस्करी के मामले में मशहूर घरघोड़ा ब्लॉक एक बार फिर से सुर्खियों में है और इस बार सुर्खियों का कारण वहां स्थित केन्द्र सरकार की एनटीपीसी तिलाईपाली माइंस का कोयला चोरी होनें से जुड़ा हुआ है, जिसको लेकर स्थानीय लोग जब शिकायत करते हैं, तब पूरे तामझाम के साथ क्षेत्र के एसडीएम रमेश मोर, तहसीलदार विकास जिंदल, माइनिंग अधिकारी आशीष हडकपे और थाना प्रभारी अमित तिवारी के अलावा अन्य कई लोग पूरे दल बल के साथ पहुंचते है और जब कार्रवाई शुरू होती है, तब अचानक मोबाईल घनघना उठता है और अचानक पूरी टीम वहां से मामले को कागजों में निपटाकर चलते बनती है। इतना ही नही हजारो टन कोयला अभी भी खेतों में पड़ा हुआ है और यह कोयला एनटीपीसी तिलाईपाली से निकलकर कारीछापर की रेल साइडिंग में नहीं जाकर खेतों में कैसे आ गया जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। क्या कहते हैं तिलाईपाली के पीआरओ इस पूरे मामले में हमने तिलाईपाली कोल माइंस के जन संपर्क अधिकारी यशराम सोनी से बात की तो उन्होंने कहा कि कोयला किसका है यह तो जांच के बाद पता चलेगा और प्रशासन की टीम जांच कर रही है। साथ ही साथ यशराज सोनी का यह भी कहना था कि आज कारीछापर से लगे फगुरम में प्रशासन की टीम जरूर आई थी, जिसमें एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। एनटीपीसी तिलाईपाली का कोयला है या नही ये सवाल पर वे बार-बार यही जवाब देते रहे। एसडीएम का गोलमोल जवाब तिलाईपाली कोल माइंस से निकलने वाला कारा हीरा खेतों में उतारकर उसकी तस्करी करने की शिकायत के बाद हो रही कार्रवाई पर जब हमने घरघोड़ा एसडीएम रमेश मोर से बात की तो उन्होंने पूरे मामले को माइनिंग इंस्पेक्टर पर डालते हुए कहा कि कार्रवाई उनके द्वारा की गई है, और उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। मजे की बात यह है कि दो हजार से भी अधिक टन कोयला खेतों में लावारिस पड़ा रहता है और क्षेत्र के एसडीएम इसमें लीपापोती करते नजर आते हैं। बहरहाल, देखना यह है कि काले हीरे की तस्करी के पीछे कौन से बड़े तस्कर शामिल है और हजारो टन कोयला की जब्ती करने के बाद भी कोई भी विभागीय अधिकारी इसकी जानकारी देने से क्यों कतरा रहा है। ये सभी सवाल बताता है कि राजनीतिक पकड़ वाले कोयला तस्कर कितने ताकतवर हैं और घरघोड़ा ब्लॉक में एक बार फिर से कोयला तस्करी के नया आयाम स्थापित हो रहा है।

एनटीपीसी तिलाईपाली के कोयले की हो रही तस्करी
रेल साईडिंग की बजाए खेतों में डंप हो रहा कोयला कार्रवाई के नाम पर लीपापोती छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 1 जुलाई। एनटीपीसी तिलाईपाली की खदानों से निकलने वाला कोयला तस्करों के लिये नोट छापने की मशीन बन गया है और इस मामले में जब शिकायत की जाती है, तब राजनीतिक दबाव से न केवल कार्रवाई रोक दी जाती है बल्कि कथित तौर पर जब्ती कोयला तस्करी करने वालों को ही सुपुर्द करके मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। रायगढ़ जिले के घरघोड़ा ब्लॉक में आने वाले ग्राम फगुरम का यह मामला है, जहां एक खेत में दो हजार से भी अधिक टन कोयला तिलाईपाली के कारीछापर रेल साइडिंग की बजाए खेतों में ही डंप कर दिया जाता है, लेकिन जब शिकायत होती है तब क्षेत्र के एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी, माइनिंग विभाग की टीम पहुंचती जरूर है, लेकिन तस्करी करने वाले कौन थे, किसका कोयला था ये सभी सवाल, सवाल बनकर प्रशासन के लिए अबूझ पहेली बन गए हैं। काले हीरे की तस्करी के मामले में मशहूर घरघोड़ा ब्लॉक एक बार फिर से सुर्खियों में है और इस बार सुर्खियों का कारण वहां स्थित केन्द्र सरकार की एनटीपीसी तिलाईपाली माइंस का कोयला चोरी होनें से जुड़ा हुआ है, जिसको लेकर स्थानीय लोग जब शिकायत करते हैं, तब पूरे तामझाम के साथ क्षेत्र के एसडीएम रमेश मोर, तहसीलदार विकास जिंदल, माइनिंग अधिकारी आशीष हडकपे और थाना प्रभारी अमित तिवारी के अलावा अन्य कई लोग पूरे दल बल के साथ पहुंचते है और जब कार्रवाई शुरू होती है, तब अचानक मोबाईल घनघना उठता है और अचानक पूरी टीम वहां से मामले को कागजों में निपटाकर चलते बनती है। इतना ही नही हजारो टन कोयला अभी भी खेतों में पड़ा हुआ है और यह कोयला एनटीपीसी तिलाईपाली से निकलकर कारीछापर की रेल साइडिंग में नहीं जाकर खेतों में कैसे आ गया जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। क्या कहते हैं तिलाईपाली के पीआरओ इस पूरे मामले में हमने तिलाईपाली कोल माइंस के जन संपर्क अधिकारी यशराम सोनी से बात की तो उन्होंने कहा कि कोयला किसका है यह तो जांच के बाद पता चलेगा और प्रशासन की टीम जांच कर रही है। साथ ही साथ यशराज सोनी का यह भी कहना था कि आज कारीछापर से लगे फगुरम में प्रशासन की टीम जरूर आई थी, जिसमें एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। एनटीपीसी तिलाईपाली का कोयला है या नही ये सवाल पर वे बार-बार यही जवाब देते रहे। एसडीएम का गोलमोल जवाब तिलाईपाली कोल माइंस से निकलने वाला कारा हीरा खेतों में उतारकर उसकी तस्करी करने की शिकायत के बाद हो रही कार्रवाई पर जब हमने घरघोड़ा एसडीएम रमेश मोर से बात की तो उन्होंने पूरे मामले को माइनिंग इंस्पेक्टर पर डालते हुए कहा कि कार्रवाई उनके द्वारा की गई है, और उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। मजे की बात यह है कि दो हजार से भी अधिक टन कोयला खेतों में लावारिस पड़ा रहता है और क्षेत्र के एसडीएम इसमें लीपापोती करते नजर आते हैं। बहरहाल, देखना यह है कि काले हीरे की तस्करी के पीछे कौन से बड़े तस्कर शामिल है और हजारो टन कोयला की जब्ती करने के बाद भी कोई भी विभागीय अधिकारी इसकी जानकारी देने से क्यों कतरा रहा है। ये सभी सवाल बताता है कि राजनीतिक पकड़ वाले कोयला तस्कर कितने ताकतवर हैं और घरघोड़ा ब्लॉक में एक बार फिर से कोयला तस्करी के नया आयाम स्थापित हो रहा है।