भोंगापाल बौद्ध चैत भूमि पर धूमधाम से मनाई बुद्ध जयंती

शिक्षा का ध्यान केंद्र और सडक़ मार्ग सुधारने की मांग छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 24 मई। भोंगापाल बौद्ध समिति व नारायणपुर बौद्ध समाज समिति के मार्गदर्शन पर भोंगापाल बौद्ध चैत भूमि पर बौद्ध मेला आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि प्रदेश बौद्ध महासभा के संरक्षक महादेव कवरे, और विशेष अतिथि झाड़ुराम सलाम, पूर्व विधायक सेवक राम नेताम, रूपचंद सलाम, कमलजीत आहूजा सिख समाज जिला अध्यक्ष,और बाबा साहेब सेवा संस्था के पदाधिकारी भी मौजूद थे। ज्ञात हो कि बौद्ध चैत भूमि ग्राम पंचायत भोगांपाल विकासखंड फसगांव जिला कोंडागांव व नारायणपुर,कांकेर तीनों जिले पर सीमा पर स्थित है। यहां बुद्ध पूर्णिमा पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। अतिथियों को आदिवासी वेशभूषा में निरर्थक दल के द्वारा स्वागत किया गया। जिसमें ज्ञानबोधी भंते और अतिथियों के द्वारा तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष परित्राण पाठ कर पंचशीलों झंडा रोहण किया गया और उपासिका उपासकों के द्वारा खीर दान भोजन दान कराया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पूर्व विधायक सेवक राम नेताम ने कहा कि भारत देश में हर वर्ग के निवासरत हर धर्म के लोग भी निवासरत हैं जो हमारे धर्म के के प्रति आस्था है और अलग-अलग मानने वाले भी है। नारायणपुर बौद्ध समिति के अध्यक्ष ने कहा कि बौद्ध चैत भूमि भोंगापल में तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा है। छठवीं शताब्दी में यहां आना यह बताता है कि बस्तर संभाग बौद्धिक विचारधारा से रहा होगा बुद्ध विचरण कर रहे थे, तब बुद्ध के शिष्य भी विचारण रहे होंगे, तभी बुद्ध का चरण इस मार्ग से गुजरे होंगे, ऐसा हम सब अनुमान लगा रहे हैं और छठवीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षुओं का यहां पर आना- जाना रहा है। बौद्ध चैत गृह का निर्माण करना यह बताता है कि निश्चित रूप से बौद्ध काल में या बस्तर संभाग भी बौद्धिक विचारों से भलीभूत रहा होगा। निश्चित रूप से यह बौद्ध काल का बड़ा ध्यान केंद्र भी रहा होगा, ऐसा हमको लगता है। पुरातत्व और संस्कृति विभाग इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। सन 1990-91 में जब इसका उत्खनन हुआ, उसके बाद से लगातार बौद्ध धर्म के विचारक बौद्ध धर्म को मानने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्था के दो यहां पर आए हैं। हम छत्तीसगढ़ सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक जगह को उसका और ज्यादा विकास करें यहां पर इसका एक अच्छी बाउंड्रीवॉल करें। यहां पर शिक्षा के केंद्र के रूप में इसको डेवलप करें। यहां पर ध्यान केंद्र शिक्षा केंद्र की स्थापना होना चाहिए और साथ ही साथ यहां की आवागमन को यहां पर जानेके लिए सडक़ों का निर्माण करें ताकि विश्व में बुद्ध को मानने वाले लोग यहां पर आ सके। कार्यक्रम में भंते ज्ञानबोधी, अनिल खोबरागड़े बुद्ध समिति अध्यक्ष, मनोज बागडे, उमेश रावत, मनीष ठावरे, नवीन महाजन, प्रमोद डोंगरे, गौतम रंगारी, कमलजीत आहूजा, पंकज, अमित कुमार कंबोले,फूल सिंह कोर्राम संतोष सलाम, रसोराम नाग आदि उपस्थित रहे।

भोंगापाल बौद्ध चैत भूमि पर धूमधाम से मनाई बुद्ध जयंती
शिक्षा का ध्यान केंद्र और सडक़ मार्ग सुधारने की मांग छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 24 मई। भोंगापाल बौद्ध समिति व नारायणपुर बौद्ध समाज समिति के मार्गदर्शन पर भोंगापाल बौद्ध चैत भूमि पर बौद्ध मेला आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि प्रदेश बौद्ध महासभा के संरक्षक महादेव कवरे, और विशेष अतिथि झाड़ुराम सलाम, पूर्व विधायक सेवक राम नेताम, रूपचंद सलाम, कमलजीत आहूजा सिख समाज जिला अध्यक्ष,और बाबा साहेब सेवा संस्था के पदाधिकारी भी मौजूद थे। ज्ञात हो कि बौद्ध चैत भूमि ग्राम पंचायत भोगांपाल विकासखंड फसगांव जिला कोंडागांव व नारायणपुर,कांकेर तीनों जिले पर सीमा पर स्थित है। यहां बुद्ध पूर्णिमा पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। अतिथियों को आदिवासी वेशभूषा में निरर्थक दल के द्वारा स्वागत किया गया। जिसमें ज्ञानबोधी भंते और अतिथियों के द्वारा तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष परित्राण पाठ कर पंचशीलों झंडा रोहण किया गया और उपासिका उपासकों के द्वारा खीर दान भोजन दान कराया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पूर्व विधायक सेवक राम नेताम ने कहा कि भारत देश में हर वर्ग के निवासरत हर धर्म के लोग भी निवासरत हैं जो हमारे धर्म के के प्रति आस्था है और अलग-अलग मानने वाले भी है। नारायणपुर बौद्ध समिति के अध्यक्ष ने कहा कि बौद्ध चैत भूमि भोंगापल में तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा है। छठवीं शताब्दी में यहां आना यह बताता है कि बस्तर संभाग बौद्धिक विचारधारा से रहा होगा बुद्ध विचरण कर रहे थे, तब बुद्ध के शिष्य भी विचारण रहे होंगे, तभी बुद्ध का चरण इस मार्ग से गुजरे होंगे, ऐसा हम सब अनुमान लगा रहे हैं और छठवीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षुओं का यहां पर आना- जाना रहा है। बौद्ध चैत गृह का निर्माण करना यह बताता है कि निश्चित रूप से बौद्ध काल में या बस्तर संभाग भी बौद्धिक विचारों से भलीभूत रहा होगा। निश्चित रूप से यह बौद्ध काल का बड़ा ध्यान केंद्र भी रहा होगा, ऐसा हमको लगता है। पुरातत्व और संस्कृति विभाग इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। सन 1990-91 में जब इसका उत्खनन हुआ, उसके बाद से लगातार बौद्ध धर्म के विचारक बौद्ध धर्म को मानने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्था के दो यहां पर आए हैं। हम छत्तीसगढ़ सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक जगह को उसका और ज्यादा विकास करें यहां पर इसका एक अच्छी बाउंड्रीवॉल करें। यहां पर शिक्षा के केंद्र के रूप में इसको डेवलप करें। यहां पर ध्यान केंद्र शिक्षा केंद्र की स्थापना होना चाहिए और साथ ही साथ यहां की आवागमन को यहां पर जानेके लिए सडक़ों का निर्माण करें ताकि विश्व में बुद्ध को मानने वाले लोग यहां पर आ सके। कार्यक्रम में भंते ज्ञानबोधी, अनिल खोबरागड़े बुद्ध समिति अध्यक्ष, मनोज बागडे, उमेश रावत, मनीष ठावरे, नवीन महाजन, प्रमोद डोंगरे, गौतम रंगारी, कमलजीत आहूजा, पंकज, अमित कुमार कंबोले,फूल सिंह कोर्राम संतोष सलाम, रसोराम नाग आदि उपस्थित रहे।