आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट पर कौशिक और अजय ने स्वास्थ्य मंत्री को घेरा

छत्तीसगढ़ संवाददाता रायपुर, 23 फरवरी। आयुर्वेदिक दवाओं में ऐलोपैथिक दवाईयों के मिलावट का मामला आज विधानसभा में गूंजा। भाजपा के ही वरिष्ठ विधायकों धरमलाल कौशिक और अजय चंद्राकर ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को घेरा। तारांकित प्रश्न में कौशिक ने कहा कि 11 आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथी मटेरिएल मिलाने की जांच हुई लेकिन रिपोर्ट यह नहीं बताया कि कितने फीसदी मिलावट सी गई। मंत्री जायसवाल ने बताया कि जनवरी 2022 से नवंबर 2023 के बीच ऐसे 11 केस मिले हैं। जिनमें मिलावट की आशंका है। रिपोर्ट का इंतजार है। कौशिक इस उत्तर से असहमत थे,उन्होंने पूछा केवल मिलावट के प्रतिशत की जानकारी मांग रहा हूं। मंत्री ने कहा कि लैब से प्रतिशत के आंकड़े पता करने में समय लगता है । कौशिक ने कहा कि पहले रायपुर लैब में परीक्षण के बाद मिलावट साबित होने पर कोलकाता के राष्ट्रीय लैब भेजा गया था। वहां से रिपोर्ट आ गई है। केवल फीसदी बताना है। मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट नहीं आई है, मिलते ही जानकारी दे देंगे। इसके लिए कार्रवाई की जा रही है। कौशिक ने कहा कि नहीं आएगी रिपोर्ट । यह बता दें कि मिलावट साबित होने पर सजा का क्या प्रावधान है। जायसवाल ने बताया कि सभी 12 केसो कि विवेचना कर रहे हैं। साबित होने पर 1-3 वर्ष की सजा है।मिलावट करने वालों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों मेंचालान कोर्ट में पेश किया जाता है। मंत्री ने बताया कि 2022 में दर्ज सभी मामलों में चालान कोर्ट में पेश कर दिया गया है। 2023 के मामलों की विवेचना चल रही है। मंत्री ने बताया कि दवाओं के जांच की प्रक्रिया लगातार चलती है। इसके लिए प्रदेश में चलित लैब वाहन महैं। कहीं पर लगता है तो तत्काल वहीं पर जांच करते हैं। मंत्री राज्य के लैब में मानव संसाधन कम है। केवल 5 प्रतिशत ही पद है। हमारे पास केवल यह पता करने की व्यवस्था है कि दवा में मिलावट है या नहीं। कितनी मिलावट है यह जानने के लिए सैंपल बाहर भेजना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 23 के सभी प्रकरण 3 माह के भीतर राष्ट्रीय लैब भेज देंगे। अजय के प्रश्न पर मंत्री ने जवाब में कहा कि आयुर्वेद के सभी दवाओं के सभी बैच से 100 फीसदी सेंपल लेने की अनिवार्यता है।

आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट पर कौशिक और अजय ने स्वास्थ्य मंत्री को घेरा
छत्तीसगढ़ संवाददाता रायपुर, 23 फरवरी। आयुर्वेदिक दवाओं में ऐलोपैथिक दवाईयों के मिलावट का मामला आज विधानसभा में गूंजा। भाजपा के ही वरिष्ठ विधायकों धरमलाल कौशिक और अजय चंद्राकर ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को घेरा। तारांकित प्रश्न में कौशिक ने कहा कि 11 आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथी मटेरिएल मिलाने की जांच हुई लेकिन रिपोर्ट यह नहीं बताया कि कितने फीसदी मिलावट सी गई। मंत्री जायसवाल ने बताया कि जनवरी 2022 से नवंबर 2023 के बीच ऐसे 11 केस मिले हैं। जिनमें मिलावट की आशंका है। रिपोर्ट का इंतजार है। कौशिक इस उत्तर से असहमत थे,उन्होंने पूछा केवल मिलावट के प्रतिशत की जानकारी मांग रहा हूं। मंत्री ने कहा कि लैब से प्रतिशत के आंकड़े पता करने में समय लगता है । कौशिक ने कहा कि पहले रायपुर लैब में परीक्षण के बाद मिलावट साबित होने पर कोलकाता के राष्ट्रीय लैब भेजा गया था। वहां से रिपोर्ट आ गई है। केवल फीसदी बताना है। मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट नहीं आई है, मिलते ही जानकारी दे देंगे। इसके लिए कार्रवाई की जा रही है। कौशिक ने कहा कि नहीं आएगी रिपोर्ट । यह बता दें कि मिलावट साबित होने पर सजा का क्या प्रावधान है। जायसवाल ने बताया कि सभी 12 केसो कि विवेचना कर रहे हैं। साबित होने पर 1-3 वर्ष की सजा है।मिलावट करने वालों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों मेंचालान कोर्ट में पेश किया जाता है। मंत्री ने बताया कि 2022 में दर्ज सभी मामलों में चालान कोर्ट में पेश कर दिया गया है। 2023 के मामलों की विवेचना चल रही है। मंत्री ने बताया कि दवाओं के जांच की प्रक्रिया लगातार चलती है। इसके लिए प्रदेश में चलित लैब वाहन महैं। कहीं पर लगता है तो तत्काल वहीं पर जांच करते हैं। मंत्री राज्य के लैब में मानव संसाधन कम है। केवल 5 प्रतिशत ही पद है। हमारे पास केवल यह पता करने की व्यवस्था है कि दवा में मिलावट है या नहीं। कितनी मिलावट है यह जानने के लिए सैंपल बाहर भेजना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 23 के सभी प्रकरण 3 माह के भीतर राष्ट्रीय लैब भेज देंगे। अजय के प्रश्न पर मंत्री ने जवाब में कहा कि आयुर्वेद के सभी दवाओं के सभी बैच से 100 फीसदी सेंपल लेने की अनिवार्यता है।