11 राज्यों के 11 शहरों में 1100 से अधिक कलाकारों ने एक ही ट्रैक पर गाया रविन्द्र संगीत के 20 गीत

भिलाई में 103 कलाकारों की रही भागीदारी, गीतिमाल्या संस्था इस आयोजन से नई पीढ़ी को भी फायदा भिलाई नगर, 12 मई। दुर्ग जिले के भिलाई में कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के 163वें जन्मदिवस पर रबींद्र सुधा भिलाई द्वारा आज एक नए रूप मे हजार कंठ सम्मेलन रबींद्र संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के भिलाई सहित भारत के ग्यारह राज्यों में शत कंठ सम्मेलक ने रबींद्र संगीत का सामूहिक गायन किया। भिलाई के महात्मा गांधी कलामंदिर सिविक सेंटर में दुर्ग, भिलाई एवं बिलासपुर के 100 से ज्यादा संगीत कलाकारों ने रबीन्द्र संगीत गायन के माध्यम से गुरुदेव की जन्म जयंती पर प्रस्तुति दी है। ज्ञात हो कि भारत के उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं के ग्यारह राज्यों में शत कंठ सम्मेलन में रबींद्र संगीत के माध्यम से एक हजार से भी ज्यादा संगीत कलाकारों ने गुरुदेव को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। यह कार्यक्रम आज 11राज्यों में एक ही समय में, एक ही गानों (20 गाने) को एक ही म्यूजिक ट्रैक में गाकर किया गया। आज के आधुनिक इंटरनेट सुविधा के माध्यम से देश मे पहली बार इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें ग्यारह राज्यों के ग्यारह शहरों के लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की। सभी राज्यों से कार्यक्रम का लाईव प्रसारण भी एलईडी स्क्रीन पर देखा जा सकता था। इस कार्यक्रम के माध्यम से देश भर में टैगोर के अनुयायियों में से एक हजार कंठ कवियों ने गुरुदेव के गीत एक ही समय पर एक साथ गाकर उनके जन्मदिन को यादगार बनाया है। भिलाई की संस्था रवींद्र सुधा के इस कार्यक्रम में बंगाली भाषी कलाकारों के साथ-साथ कई हिन्दी भाषी गायक भी शामिल हुए। कई ऐसे गायक भी रहे जिनकी उम्र 60 से ऊपर है और बड़े पदों से रिटायर हो चुके हैं। भिलाई में संचालित संस्था रवींद्र सुधा के सचिव विश्वजीत सरकार ने बताया कि आज रवींद्र नाथ टैगोर की 163वीं जयंती पर पूरे देश के 11 राज्यों में एक हजार से ज्यादा कवियों ने रबीन्द्र काव्यांजलि गाया है। भिलाई में छत्तीसगढ़ के 103 कलाकार इस कार्यक्रम में भागीदार बने। इसके लिए करीब 9 महीने से तैयारी चल रही थी। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे एक साथ पूरे देश में शुरू हुआ। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखा गया। ऐसा पहली बार हुआ जब हजार कंठ का आयोजन पूरे देश के 11 अलग-अलग राज्यों में एक साथ एक समय पर आयोजित किया गया। सभी कलाकार इंटरनेट के वेब कॉस्ट के जरिए एक साथ जुड़े और सामूहिक गायन में भाग लिया। कार्यक्रम संस्था गीतिमाल्या की ओर से सम्पन्न हुआ जिसकी रूपरेखा और संगीत निर्देशन कोलकाता की अरुंधती देब का रहा। पूरे गीत एक ही ट्रैक पर चले और इस ट्रैक को सभी संस्थाओं को पहले से ही भेज दिया गया था ताकि वे सभी लगातार इस पर प्रैक्टिस कर सकें। आयोजन में शामिल कलाकार मणिमय मुखर्जी ने कहा कि आज भिलाई में एक अनूठा कार्यक्रम पेश किया गया, ये एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था, जिसमें रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती के अवसर पर ग्यारह राज्यों में से हर राज्य में सौ कलाकारों ने सामूहिक रूप से रवीन्द्र संगीत गाया। रवीन्द्रनाथ टैगोर आज भी प्रासंगिक हैं, उनके गीत समाज को जागृत करते हैं, पर्यावरण के प्रति लोगों को जागृत करते हैं, देश प्रेम के प्रति लोगों को जागृत करते हैं और इस कार्यक्रम में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनको बांग्ला भाषा नहीं आती उन्होंने भी हमारे साथ गुरू के 20 गीत गाए हैं। प्रेसिडेंट रवीन्द्र सुधा राजदीप ने कहा कि आज विश्व कवि रवींद्रनाथ के 163वें जन्म जयंती पर इस आयोजन में राष्ट्र में 11 राज्यों के 11 शहरों में 11 मंच पर 1100 से अधिक कलाकार इसमें शामिल हुए, एक ही ट्रैक एक ही समय, एक ही दिन यह कार्यक्रम हुआ जो अपने आप में एक अनोखा और ऐतिहासिक है। इस तरह का कार्यक्रम आज तक देश में नहीं हुआ जिसमें एक ही ट्रैक में ग्यारह राज्यों में अलग अलग जो कलाकार हैं, वो रवीन्द्र संगीत गायन कर रहे हैं, जिसमें एक ही समय में एक ही ट्रैक में सभी ने सामूहिक प्रस्तुति दी। ऐसे आयोजन से नई पीढ़ी को रवीन्द्र नाथ के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। रवीन्द्रनाथ एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनको जानने के लिए एक जीवन भी कम है? लेकिन ऐसी प्रस्तुति और ऐसे कार्यक्रम यदि हम देते रहेंगे तो जो नई पीढ़ी है वो रवीन्द्रनाथ के बारे में बहुत कुछ जानेगी और जानने की उनमें उत्सुकता बढ़ेगी और वो सभी हमारे कल्चर में पार्टिसिपेट कर पाएंगे।

11 राज्यों के 11 शहरों में 1100 से अधिक कलाकारों ने एक ही ट्रैक पर गाया रविन्द्र संगीत के 20 गीत
भिलाई में 103 कलाकारों की रही भागीदारी, गीतिमाल्या संस्था इस आयोजन से नई पीढ़ी को भी फायदा भिलाई नगर, 12 मई। दुर्ग जिले के भिलाई में कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के 163वें जन्मदिवस पर रबींद्र सुधा भिलाई द्वारा आज एक नए रूप मे हजार कंठ सम्मेलन रबींद्र संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के भिलाई सहित भारत के ग्यारह राज्यों में शत कंठ सम्मेलक ने रबींद्र संगीत का सामूहिक गायन किया। भिलाई के महात्मा गांधी कलामंदिर सिविक सेंटर में दुर्ग, भिलाई एवं बिलासपुर के 100 से ज्यादा संगीत कलाकारों ने रबीन्द्र संगीत गायन के माध्यम से गुरुदेव की जन्म जयंती पर प्रस्तुति दी है। ज्ञात हो कि भारत के उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं के ग्यारह राज्यों में शत कंठ सम्मेलन में रबींद्र संगीत के माध्यम से एक हजार से भी ज्यादा संगीत कलाकारों ने गुरुदेव को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। यह कार्यक्रम आज 11राज्यों में एक ही समय में, एक ही गानों (20 गाने) को एक ही म्यूजिक ट्रैक में गाकर किया गया। आज के आधुनिक इंटरनेट सुविधा के माध्यम से देश मे पहली बार इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें ग्यारह राज्यों के ग्यारह शहरों के लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की। सभी राज्यों से कार्यक्रम का लाईव प्रसारण भी एलईडी स्क्रीन पर देखा जा सकता था। इस कार्यक्रम के माध्यम से देश भर में टैगोर के अनुयायियों में से एक हजार कंठ कवियों ने गुरुदेव के गीत एक ही समय पर एक साथ गाकर उनके जन्मदिन को यादगार बनाया है। भिलाई की संस्था रवींद्र सुधा के इस कार्यक्रम में बंगाली भाषी कलाकारों के साथ-साथ कई हिन्दी भाषी गायक भी शामिल हुए। कई ऐसे गायक भी रहे जिनकी उम्र 60 से ऊपर है और बड़े पदों से रिटायर हो चुके हैं। भिलाई में संचालित संस्था रवींद्र सुधा के सचिव विश्वजीत सरकार ने बताया कि आज रवींद्र नाथ टैगोर की 163वीं जयंती पर पूरे देश के 11 राज्यों में एक हजार से ज्यादा कवियों ने रबीन्द्र काव्यांजलि गाया है। भिलाई में छत्तीसगढ़ के 103 कलाकार इस कार्यक्रम में भागीदार बने। इसके लिए करीब 9 महीने से तैयारी चल रही थी। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे एक साथ पूरे देश में शुरू हुआ। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखा गया। ऐसा पहली बार हुआ जब हजार कंठ का आयोजन पूरे देश के 11 अलग-अलग राज्यों में एक साथ एक समय पर आयोजित किया गया। सभी कलाकार इंटरनेट के वेब कॉस्ट के जरिए एक साथ जुड़े और सामूहिक गायन में भाग लिया। कार्यक्रम संस्था गीतिमाल्या की ओर से सम्पन्न हुआ जिसकी रूपरेखा और संगीत निर्देशन कोलकाता की अरुंधती देब का रहा। पूरे गीत एक ही ट्रैक पर चले और इस ट्रैक को सभी संस्थाओं को पहले से ही भेज दिया गया था ताकि वे सभी लगातार इस पर प्रैक्टिस कर सकें। आयोजन में शामिल कलाकार मणिमय मुखर्जी ने कहा कि आज भिलाई में एक अनूठा कार्यक्रम पेश किया गया, ये एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था, जिसमें रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती के अवसर पर ग्यारह राज्यों में से हर राज्य में सौ कलाकारों ने सामूहिक रूप से रवीन्द्र संगीत गाया। रवीन्द्रनाथ टैगोर आज भी प्रासंगिक हैं, उनके गीत समाज को जागृत करते हैं, पर्यावरण के प्रति लोगों को जागृत करते हैं, देश प्रेम के प्रति लोगों को जागृत करते हैं और इस कार्यक्रम में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनको बांग्ला भाषा नहीं आती उन्होंने भी हमारे साथ गुरू के 20 गीत गाए हैं। प्रेसिडेंट रवीन्द्र सुधा राजदीप ने कहा कि आज विश्व कवि रवींद्रनाथ के 163वें जन्म जयंती पर इस आयोजन में राष्ट्र में 11 राज्यों के 11 शहरों में 11 मंच पर 1100 से अधिक कलाकार इसमें शामिल हुए, एक ही ट्रैक एक ही समय, एक ही दिन यह कार्यक्रम हुआ जो अपने आप में एक अनोखा और ऐतिहासिक है। इस तरह का कार्यक्रम आज तक देश में नहीं हुआ जिसमें एक ही ट्रैक में ग्यारह राज्यों में अलग अलग जो कलाकार हैं, वो रवीन्द्र संगीत गायन कर रहे हैं, जिसमें एक ही समय में एक ही ट्रैक में सभी ने सामूहिक प्रस्तुति दी। ऐसे आयोजन से नई पीढ़ी को रवीन्द्र नाथ के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। रवीन्द्रनाथ एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनको जानने के लिए एक जीवन भी कम है? लेकिन ऐसी प्रस्तुति और ऐसे कार्यक्रम यदि हम देते रहेंगे तो जो नई पीढ़ी है वो रवीन्द्रनाथ के बारे में बहुत कुछ जानेगी और जानने की उनमें उत्सुकता बढ़ेगी और वो सभी हमारे कल्चर में पार्टिसिपेट कर पाएंगे।