क्या वापस लाए जा सकते हैं गंजे सिर पर बाल?

वैज्ञानिक झड़ चुके बालों को दोबारा उगाने के तरीके ढूंढ़ते रहते हैं. कई बार ऐसा उपाय चूहों पर परीक्षण करने के दौरान गलती से भी मिल जाता है. चलिए जानते हैं कि ये उपाय गंजेपन को खत्म करने में कितने कारगर हैं. डॉयचे वैले पर फ्रेड श्वालर की रिपोर्ट- समाज में गंजे लोगों को कम सुंदर समझा जाता है. 1993 में एमी अवार्ड जीतने के बाद कॉमेडियन लैरी डेविड ने कहा था कि यह सब बहुत अच्छा और बढ़िया है, लेकिन मैं अभी भी गंजा हूं. डेविड के पास उन गंजे लोगों के लिए बड़े सबक हैं, जो बालों के झड़ने को स्वीकार करने की बजाय उसकी भरपाई करने की कोशिश करते हैं. साल 2000 में डेविड ने न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था, जिसका शीर्षक था- मेरे सिर को चूमिए. डेविड ने लिखा था, मैं एक गंजा व्यक्ति हूं. मैं टोपी, हैट, दाढ़ी या ट्रांसप्लांट का सहारा नहीं लेता. अगर हम इन हास्यास्पद तरीकों का सहारा लेंगे तो कोई भी गंजे लोगों की इज्जत क्यों करेगा. यही वजह है कि बालों वाले लोग खुद को हमसे बेहतर मानते हैं. 85 फीसदी पुरुष अपने जीवनकाल में बाल झड़ने की समस्या का सामना करते हैं. लेकिन यह सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं है. 33 फीसदी महिलाओं को भी बालों के झड़ने या पतले होने की समस्या होती है. डेविड लैरी जैसे लोगों के प्रयासों के बावजूद कई लोग हेयर ग्रोथ को वापस पाने के तरीके ढूंढ़ते रहते हैं. पहले की तुलना में अब इसके लिए विकल्प भी काफी ज्यादा उपलब्ध हैं. लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि गंजापन होता क्यों है? क्या मां से विरासत में मिलता है गंजापन? अधिकतर मामलों में व्यक्ति के गंजे होने का संबंध उसके जींस से होता है. इसको लेकर कई अलग-अलग अनुमान हैं, लेकिन गंजे होने का 60 से 70 फीसदी खतरा जेनेटिक्स से जुड़ा है. बाल झड़ने की सबसे आम वजह को आनुवंशिक-पैटर्न वाला गंजापन कहा जाता है. इसका तकनीकी नाम एंड्रोजेनेटिक अलोपीशिया है. यह 50 फीसदी पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है. एक चुटकुला सुनाया जाता है कि पुरुषों को गंजापन अपनी मां से विरासत में मिलता है. लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. यह बात सही है कि गंजेपन का एक जीन से बेहद मजबूत संबंध होता है. यह जीन एक्स क्रोमोसोम पर पाया जाता है, जो व्यक्ति को उसकी मां से प्राप्त होता है. इसे एआर जीन कहते हैं. लेकिन गंजापन पॉलीजेनिक है, यानी इसमें कई जींस की भूमिका रहती है. कुछ अनुमानों के मुताबिक, इसमें लगभग 200 जींस शामिल होते हैं. इनमें से कुछ जींस ही मां की ओर से प्राप्त होते हैं. वहीं, बहुत सारे जीन पिता से मिलते हैं. इसलिए गंजेपन के लिए मां के जीन को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से सही नहीं है. कई रिसर्च में सामने आया है कि बाल झड़ने की समस्या का सामना कर रहे 80 फीसदी लोगों के पिता भी गंजे हैं या गंजे थे. निश्चित नहीं है गंजा होना आपके जींस आपके बालों का भविष्य तय नहीं करते हैं. भले ही आपके घर के सभी पुरुष गंजे हों, तो भी यह पक्का नहीं होता कि भविष्य में आपके बाल भी उड़ ही जाएंगे. इसके अलावा बहुत सारे गंजे लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके घर में सभी के अच्छे बाल होते हैं. कुछ पर्यावरण संबंधी कारक भी बाल झड़ने की वजह बनते हैं. इनमें तनाव और पोषण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है. तनाव से भरी नौकरी और घरेलू जिंदगी, कीमोथेरेपी और पोषण की कमी से स्थायी या अस्थायी तौर पर बाल झड़ सकते हैं. इसमें पोनीटेल जैसी कुछ हेयरस्टाइल की भी भूमिका हो सकती है, जिनमें बालों को कसकर बांधा जाता है. इसका एक और कारण अलोपीशिया एरीटा है, जो ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह से होता है. गंजेपन में हॉर्मोनों की भी भूमिका होती है. यह कहा जाता है कि टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की अधिकता से गंजापन होता है. लेकिन यह आंशिक रूप से ही सही है. गंजेपन का संबंध कुछ विशिष्ट हॉर्मोन और बालों पर उनके प्रभाव से होता है. खासकर सेक्स हॉर्मोन डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (डीएचटी) से, जो टेस्टोस्टेरोन से प्राप्त होता है. डीएचटी हॉर्मोन के प्रति हेयर फॉलिकल्स की संवेदनशीलता से बालों का झड़ना प्रभावित होता है. ऐसा नहीं है कि हॉर्मोनों की वजह से सिर्फ पुरुषों के बाल ही झड़ते हैं. 80 साल की उम्र तक आते-आते आधी से ज्यादा महिलाओं को बाल झड़ने की समस्या झेलनी पड़ती है. इसकी मुख्य वजह हॉर्मोन संबंधी बदलाव हैं जो मेनोपॉज, गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के समय होते हैं. झड़ते बालों को दोबारा कैसे उगाएं हेयर ग्रोथ प्रोडक्ट्स का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. 2020 में बाल झड़ने की समस्या का उपचार करने वाले उत्पादों का कुल मार्केट साइज करीब 300 करोड़ डॉलर था. माना जा रहा है कि यह 2030 तक दोगुना हो जाएगा. जिन लोगों के बाल झड़ रहे हैं, उनके बाल दोबारा से उगाने के लिए बाजार में कई उपचार मौजूद हैं, मानो गंजापन कोई बीमारी हो. हाल के दशकों में हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी की लोकप्रियता भी बढ़ी है. हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान शरीर में पहले से मौजूद हेयर फॉलिकल्स को गंजेपन वाली जगह पर लगाया जाता है. हेयर ट्रांसप्लाट और दूसरी कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने की इच्छा रखने वाले लोगों के बीच तुर्की एक लोकप्रिय स्थान बन गया है. हेयर ग्रोथ के लिए दवाइयां भी आती हैं, जिनके लिए डॉक्टर के पर्चे की जरूरत होती है. उनमें से एक है फिनास्टेराइड. यह दवाई डीएचटी हॉर्मोन को रोकने का काम करती है, जिससे वह हेयर फॉलिकल्स को प्रभावित ना करे. एक मिनोक्सिडिल है जो रक्त वाहिकाओं को खोलने वाली दवाई है. हालांकि, यह पूरी तरह समझा नहीं गया है कि यह हेयर ग्रोथ को कैसे बढ़ाती है. हेयर ग्रोथ का एक मान्यता प्राप्त उपाय लेजर हेयर थेरेपी भी है. वैज्ञानिकों को यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह थेरेपी कैसे काम करती है, लेकिन जब हर दिन कम तीव्रता वाला लेजर ट्रीटमेंट छह से 12 महीनों तक दिया जाता है, तो उससे हेयर फॉलिकल्स की ग्रोथ बढ़ती है. यह स्टेम सेल एक्टिविटी के बढ़ने की वजह से होता है. लेकिन वैज्ञानिक बाल झड़ने की समस्या के लिए और भी उ

क्या वापस लाए जा सकते हैं गंजे सिर पर बाल?
वैज्ञानिक झड़ चुके बालों को दोबारा उगाने के तरीके ढूंढ़ते रहते हैं. कई बार ऐसा उपाय चूहों पर परीक्षण करने के दौरान गलती से भी मिल जाता है. चलिए जानते हैं कि ये उपाय गंजेपन को खत्म करने में कितने कारगर हैं. डॉयचे वैले पर फ्रेड श्वालर की रिपोर्ट- समाज में गंजे लोगों को कम सुंदर समझा जाता है. 1993 में एमी अवार्ड जीतने के बाद कॉमेडियन लैरी डेविड ने कहा था कि यह सब बहुत अच्छा और बढ़िया है, लेकिन मैं अभी भी गंजा हूं. डेविड के पास उन गंजे लोगों के लिए बड़े सबक हैं, जो बालों के झड़ने को स्वीकार करने की बजाय उसकी भरपाई करने की कोशिश करते हैं. साल 2000 में डेविड ने न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था, जिसका शीर्षक था- मेरे सिर को चूमिए. डेविड ने लिखा था, मैं एक गंजा व्यक्ति हूं. मैं टोपी, हैट, दाढ़ी या ट्रांसप्लांट का सहारा नहीं लेता. अगर हम इन हास्यास्पद तरीकों का सहारा लेंगे तो कोई भी गंजे लोगों की इज्जत क्यों करेगा. यही वजह है कि बालों वाले लोग खुद को हमसे बेहतर मानते हैं. 85 फीसदी पुरुष अपने जीवनकाल में बाल झड़ने की समस्या का सामना करते हैं. लेकिन यह सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं है. 33 फीसदी महिलाओं को भी बालों के झड़ने या पतले होने की समस्या होती है. डेविड लैरी जैसे लोगों के प्रयासों के बावजूद कई लोग हेयर ग्रोथ को वापस पाने के तरीके ढूंढ़ते रहते हैं. पहले की तुलना में अब इसके लिए विकल्प भी काफी ज्यादा उपलब्ध हैं. लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि गंजापन होता क्यों है? क्या मां से विरासत में मिलता है गंजापन? अधिकतर मामलों में व्यक्ति के गंजे होने का संबंध उसके जींस से होता है. इसको लेकर कई अलग-अलग अनुमान हैं, लेकिन गंजे होने का 60 से 70 फीसदी खतरा जेनेटिक्स से जुड़ा है. बाल झड़ने की सबसे आम वजह को आनुवंशिक-पैटर्न वाला गंजापन कहा जाता है. इसका तकनीकी नाम एंड्रोजेनेटिक अलोपीशिया है. यह 50 फीसदी पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है. एक चुटकुला सुनाया जाता है कि पुरुषों को गंजापन अपनी मां से विरासत में मिलता है. लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. यह बात सही है कि गंजेपन का एक जीन से बेहद मजबूत संबंध होता है. यह जीन एक्स क्रोमोसोम पर पाया जाता है, जो व्यक्ति को उसकी मां से प्राप्त होता है. इसे एआर जीन कहते हैं. लेकिन गंजापन पॉलीजेनिक है, यानी इसमें कई जींस की भूमिका रहती है. कुछ अनुमानों के मुताबिक, इसमें लगभग 200 जींस शामिल होते हैं. इनमें से कुछ जींस ही मां की ओर से प्राप्त होते हैं. वहीं, बहुत सारे जीन पिता से मिलते हैं. इसलिए गंजेपन के लिए मां के जीन को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से सही नहीं है. कई रिसर्च में सामने आया है कि बाल झड़ने की समस्या का सामना कर रहे 80 फीसदी लोगों के पिता भी गंजे हैं या गंजे थे. निश्चित नहीं है गंजा होना आपके जींस आपके बालों का भविष्य तय नहीं करते हैं. भले ही आपके घर के सभी पुरुष गंजे हों, तो भी यह पक्का नहीं होता कि भविष्य में आपके बाल भी उड़ ही जाएंगे. इसके अलावा बहुत सारे गंजे लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके घर में सभी के अच्छे बाल होते हैं. कुछ पर्यावरण संबंधी कारक भी बाल झड़ने की वजह बनते हैं. इनमें तनाव और पोषण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है. तनाव से भरी नौकरी और घरेलू जिंदगी, कीमोथेरेपी और पोषण की कमी से स्थायी या अस्थायी तौर पर बाल झड़ सकते हैं. इसमें पोनीटेल जैसी कुछ हेयरस्टाइल की भी भूमिका हो सकती है, जिनमें बालों को कसकर बांधा जाता है. इसका एक और कारण अलोपीशिया एरीटा है, जो ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह से होता है. गंजेपन में हॉर्मोनों की भी भूमिका होती है. यह कहा जाता है कि टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की अधिकता से गंजापन होता है. लेकिन यह आंशिक रूप से ही सही है. गंजेपन का संबंध कुछ विशिष्ट हॉर्मोन और बालों पर उनके प्रभाव से होता है. खासकर सेक्स हॉर्मोन डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (डीएचटी) से, जो टेस्टोस्टेरोन से प्राप्त होता है. डीएचटी हॉर्मोन के प्रति हेयर फॉलिकल्स की संवेदनशीलता से बालों का झड़ना प्रभावित होता है. ऐसा नहीं है कि हॉर्मोनों की वजह से सिर्फ पुरुषों के बाल ही झड़ते हैं. 80 साल की उम्र तक आते-आते आधी से ज्यादा महिलाओं को बाल झड़ने की समस्या झेलनी पड़ती है. इसकी मुख्य वजह हॉर्मोन संबंधी बदलाव हैं जो मेनोपॉज, गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के समय होते हैं. झड़ते बालों को दोबारा कैसे उगाएं हेयर ग्रोथ प्रोडक्ट्स का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. 2020 में बाल झड़ने की समस्या का उपचार करने वाले उत्पादों का कुल मार्केट साइज करीब 300 करोड़ डॉलर था. माना जा रहा है कि यह 2030 तक दोगुना हो जाएगा. जिन लोगों के बाल झड़ रहे हैं, उनके बाल दोबारा से उगाने के लिए बाजार में कई उपचार मौजूद हैं, मानो गंजापन कोई बीमारी हो. हाल के दशकों में हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी की लोकप्रियता भी बढ़ी है. हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान शरीर में पहले से मौजूद हेयर फॉलिकल्स को गंजेपन वाली जगह पर लगाया जाता है. हेयर ट्रांसप्लाट और दूसरी कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने की इच्छा रखने वाले लोगों के बीच तुर्की एक लोकप्रिय स्थान बन गया है. हेयर ग्रोथ के लिए दवाइयां भी आती हैं, जिनके लिए डॉक्टर के पर्चे की जरूरत होती है. उनमें से एक है फिनास्टेराइड. यह दवाई डीएचटी हॉर्मोन को रोकने का काम करती है, जिससे वह हेयर फॉलिकल्स को प्रभावित ना करे. एक मिनोक्सिडिल है जो रक्त वाहिकाओं को खोलने वाली दवाई है. हालांकि, यह पूरी तरह समझा नहीं गया है कि यह हेयर ग्रोथ को कैसे बढ़ाती है. हेयर ग्रोथ का एक मान्यता प्राप्त उपाय लेजर हेयर थेरेपी भी है. वैज्ञानिकों को यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह थेरेपी कैसे काम करती है, लेकिन जब हर दिन कम तीव्रता वाला लेजर ट्रीटमेंट छह से 12 महीनों तक दिया जाता है, तो उससे हेयर फॉलिकल्स की ग्रोथ बढ़ती है. यह स्टेम सेल एक्टिविटी के बढ़ने की वजह से होता है. लेकिन वैज्ञानिक बाल झड़ने की समस्या के लिए और भी उपाय खोजने में लगे हए हैं. शुगर जेल से बढ़ती है हेयर ग्रोथ चूहों पर किए गए एक अध्ययन में इंसानों और जानवरों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली एक शुगर का परीक्षण किया गया था. इसका नाम टू-डिऑक्सी-डी-राइबोज (टूडीडीआर) था. स्टडी में इसकी घाव भरने में मदद करने की क्षमता का परीक्षण किया गया था. इसी दौरान रिसर्चरों ने पाया कि इस शुगर की वजह से घाव के आसपास हेयर ग्रोथ बढ़ गई. इसके बाद रिसर्चर्स ने हेयर ग्रोथ के लिए इसका परीक्षण किया और पाया कि 21 दिनों तक इस शुगर को जेल की तरह लगाने से हेयर फॉलिकल्स तेजी से बढ़ते हैं. लेकिन इसमें एक पेंच यह है कि अभी तक इसका परीक्षण सिर्फ चूहों पर हुआ है. इसलिए निकट भविष्य में इसके बाजार में आने की उम्मीद नहीं की जा सकती. तब तक डेविड की इस बात को ध्यान में रखिए कि गंजे लोग अच्छे प्रेमी होते हैं. उन्होंने सालों पहले लिखा था, हमें टेस्टोस्टेरोन काफी मात्रा में मिला है. इसलिए हम सबसे पहले गंजे हो गए.(dw.com)