वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार

वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार नई दिल्ली  परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) का...

वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार

वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार

नई दिल्ली
 परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) का डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) के वास्ते 33,000 करोड़ रुपये के बैकस्टॉप फंड (एक तरह की आकस्मिक सुविधा) के लिए योगदान तय लक्ष्य 3,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

मामले के जानकार कई अधिकारियों ने कहा कि कॉर्पोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) के लिए शुरुआती कोष करीब 3,100 करोड़ रुपये हो गया है। इस कोष को इस साल जुलाई में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के तौर पर शुरू किया गया था और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मार्च में इसके नियमन ढांचे को मंजूरी दी थी।

एसबीआई एमएफ में संयुक्त मुख्य कार्याधिकारी और डीएमडी डीपी सिंह ने कहा, ‘कोष तैयार है। इसके लिए एएमसी द्वारा आवश्यक राशि जुटाई गई है और शेष रकम (30,000 करोड़ रुपये) सरकार की ओर से गारंटी के रूप में है, जिसका उपयोग केवल उधारी की स्थिति में किया जाएगा।’

बीते तीन महीनों में ‘वॉटरफॉल तंत्र’ से संबंधित पहलुओं के बारे में उद्योग के भागीदारों को बता दिया गया है और नीति दस्तावेज को अंतिम रूप देकर यूनिट आवंटित कर दी गई हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कोष की पुनर्निर्धारण अवधि छह महीने तय की गई है। इसका मतलब है कि हर छह महीने में यह कोष बढ़ता रहेगा क्योंकि इस योजना से जो भी आय होगी उसे इसमें बनाए रखनी होगी।

आय वितरित नहीं की जा सकती है। इसके अलावा हर छह महीने में एएमसी का योगदान केवल प्रबंधन के अधीन आने वाली संपत्तियों के बढ़ने पर आएगा। लेकिन ऋण एयूएम में गिरावट आने पर एमएफ के लिए रिफंड का कोई विकल्प नहीं होगा।’ बैकस्टॉप सुविधा संकट की स्थिति में ऋण योजनाओं में तरलता बरकराररखने के लिए की गई है। तरलता पर दबाव का आकलन करने का अधिकार सेबी के निदेशक मंडल को दिया गया है।

आर्थिक मामलों के विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘कोष का रुख कई घरेलू आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संकेतकों पर निर्भर करता है। बाजार में तरलता की जरूरत है या नहीं इसके मानदंड सेबी तय करेगा और अंतिम निर्णय नियामक के बोर्ड का होगा।’

तरलता कम होने की स्थिति में पहले शुरुआती कोष का उपयोग किया जाएगा, उसके बाद सरकारी गारंटी वाले कोष का इस्तेमाल किया जाएगा। सीडीएमडीएफ का शुरुआती कोष अल्पावधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिल, त्रि-पक्षीय रीपो और सात दिन की परिपक्वता वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड रीपो जैसे तरल और कम जोखिम वाले ऋण साधनों में निवेश किया जाएगा।

कोटक महिंद्रा एमएफ के प्रबंध निदेशक निलेश शाह ने कहा, ‘बैंकिंग तंत्र में अल्पावधि की तरलता के लिए अंतिम उम्मीद भारतीय रिजर्व बैंक है। यह बैंक जमाकर्ताओं को भरोसा देता है और बैंकिंग तंत्र का सुगम परिचालन सुनिश्चित करता है।

लेकिन बॉन्ड बाजार में अंतिम मोर्चे पर कोई खरीदार नहीं होता है। ऐसे में सीडीएमडीएफ इस अंतर को भरेगा और बॉन्ड बाजार के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ाएगा।’ इस तरह के कोष की जरूरत फ्रैंकलिन टेंपलटन इंडिया में ऋण कोष संकट के बाद महसूस की गई थी। फ्रैंकलिन ने नकदी की कमी के कारण 2020 में अपनी छह ऋण योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी।

माइक्रोसॉफ्ट ने आउटलुक लाइट का किया विस्तार

नई दिल्ली
 माइक्रोसॉफ्ट ने आउटलुक लाइट में स्थानीय भाषा से जुड़े नए फीचरों के साथ इसके विस्तार की घोषणा की है। कंपनी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आउटलुक लाइट भारतीय यूजरों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया ईमेल और एसएमएस एप है, जिससे उन्हें ईमेल एवं एसएमएस को एक ही जगह पर मैनेज करने का विकल्प मिलता है।

आउटलुक लाइट के माध्यम से एक छोटे एप में माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक के सभी महत्वपूर्ण फीचर दिए गए हैं। इससे किसी भी नेटवर्क पर छोटे डिवाइस पर फास्ट परफॉर्मेंस सुनिश्चित होती है। छोटा एप होने के साथ-साथ आउटलुक लाइट को उभरते मार्केट यूजर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए आउटलुक लाइट में दो नए फीचर जोड़े गए हैं।

अब आउटलुक लाइट में यूजर को स्थानीय भारतीय भाषाओं और एसएमएस का सपोर्ट भी दिया गया है, जिससे भारतीय यूजर्स ज्यादा प्रभावी तरीके से संवाद करने में सक्षम होंगे। आउटलुक लाइट में वॉइस टाइपिंग, ट्रांसलिटरेशन और ईमेल को स्थानीय भाषाओं में पढ़ने जैसे कई फीचर दिए गए हैं, जो इसे भारतीय यूजर की जरूरतों के हिसाब से ज्यादा समावेशी और कारगर बनाते हैं। इन फीचरों की मदद से यूजर के लिए अपनी पसंदीदा भाषा में ईमेल लिखना और पढ़ना संभव होगा। अभी इसमें पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और गुजराती का सपोर्ट दिया गया है। जल्द ही इसमें और भी भाषाएं जोड़ी जाएंगी।

भारत की भाषाई विविधता को देखते हुए इसमें ज्यादा से ज्यादा भाषा एवं बोली को जोड़ा जाएगा। आउटलुक लाइट में एसएमएस मैसेजिंग का सपोर्ट भी दिया गया है। इसके माध्यम से यूजर को स्मार्ट इनबॉक्स का विकल्प मिलेगा, जिसमें ट्रांजैक्शन, प्रमोशन और पर्सनल जैसी विभिन्न कैटेगरी में मैसेज को ऑर्गनाइज किया जा सकेगा। आउटलुक लाइट के माध्यम से उन्हें जरूरी अपॉइंटमेंट, ट्रैवल बुकिंग, बिल पेमेंट और गैस बुकिंग जैसे रिमाइंडर भी मिलेंगे।

असुरक्षित माने जाने वाले कर्ज के लिये मानदंडों को कड़ा करना बैंक व्यवस्था के हित में: आरबीआई गवर्नर

मुंबई
 भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हाल ही में असुरक्षित माने जाने वाले कुछ कर्ज के मानदंडों को कड़ा करना बैंक व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के मकसद से सोच-समझकर लिया गया एहतियाती और लक्षित कदम है।

दास ने उद्योग मंडल फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) और भारतीय बैंक संघ के संयुक्त रूप से आयोजित सालाना एफआई-बीएसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आरबीआई ने गृह और वाहन खरीद के अलावा छोटे कारोबारियों द्वारा लिये जाने वाले कर्जों को इससे अलग रखा है। इसका कारण उन्हें वृद्धि के मोर्चे पर जो लाभ हो रहा है, उसे बनाये रखना है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल ही में व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने को ध्यान में रखकर सोच-विचारकर कुछ उपायों की भी घोषणा की है। ये उपाय एहतियाती हैं। ये उपाए सोच-विचारकर और लक्ष्य के हिसाब से किये गये हैं।’’

दास ने यह भी कहा कि उन्हें फिलहाल बैंकों में कोई नया दबाव उत्पन्न होता नहीं दिख रहा है, लेकिन वे चाहते हैं कि बैंक सतर्क रहे और दबाव परीक्षण जारी रखे। उन्होंने कहा कि कुछ गैर-बैंक वित्त कंपनियां-सूक्ष्म वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) उच्च ब्याज मार्जिन की सूचना दे रहे हैं। आरबीआई ने उन्हें विवेकपूर्ण तरीके से दरों को निर्धारित करने में लचीला रुख अपनाने को कहा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हालांकि हेडलाइन (कुल) मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत हैं, पर केंद्रीय बैंक कीमत वृद्धि पर पैनी नजर रखे हुए है। रुपये का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल के बढ़ने के बावजूद घरेलू मुद्रा में उतार-चढ़ाव कम रहा है और वह व्यवस्थित था। दास ने निरंतर उच्च वृद्धि, मूल्य को टिकाऊ रूप से स्थिर करने और कीमत वृद्धि के झटके को कम करने के लिये कृषि विपणन तथा संबंधित मूल्य श्रृंखलाओं में सुधारों की भी वकालत की।