जंगल बचाने साढ़े चार सौ ग्रामीण पहुंचे कब्जा स्थल, अतिक्रमण हटाने का लिया निर्णय

छत्तीसगढ़ संवाददाता जशपुरनगर, 12 अगस्त। वन परिक्षेत्र पत्थलगांव के महेशपुर में रिजर्व फॉरेस्ट क्रमांक 984 में हुए सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा कर खेती करने वाले ग्राम पंचायत झिमकी के उपसरपंच सहित अन्य लोगों के खिलाफ ग्राम पंचायत महेशपुर के ग्रामीणों में गुस्सा है। यहां के लगभग साढ़े चार सौ ग्रामीण जंगल के भीतर एक साथ मिलकर पहुँचे और सभी ने नाराजगी जताते हुए अतिक्रमण हटाये जाने का फैसला लिया है। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों सहित वन समिति के सदस्य और पदाधिकारीगण शामिल थे। छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल के बाद यह दूसरा मामला है। जब ग्रामीण जंगल बचाने लामबंद हुए है। ग्रामीणों का कहना है कि वे जंगल बचाने के लिये किसी भी स्तर की लड़ाई लडऩे को तैयार है। लेकिन बिडंबना है कि ग्रामीणों के सजगता के बाद भी न वन विभाग और न ही प्रशासन इस गंभीर विषय पर ध्यान दे रहा हैं। वन समिति के अध्यक्ष अगस्तु बेक ने बताया कि जंगल के भीतर सैकडों एकड़ पर छोटे बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर खेत बनाकर उस स्थान पर धान सहित अन्य खेती की जा रही है। ग्रामीण तुलसी यदुमणि, वभुनेश्वर, मुनेश्वर, चूड़ामणि सहित अन्य लोगों ने बताया कि वे जंगल के कब्जा हटाने लंबे समय से प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये विभागीय सहित आलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को लिखित में शिकायत करने के बावजूद कोई जांच न कोई कार्रवाई नही किया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक जब जंगल के भीतर गये तो उनके साथ वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल थे। वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल के अवैध कटाई और उस रिजर्व फॉरेस्ट पर कब्जा देखकर हैरान रह गये। उसके बाद सभी लोग वापस आकर बैठक आहूत कर पंचनामा बनाया गया उसके बाद अवैध कब्जा और उस पर की गई खेती को राजसात करने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान वन विभाग के अधिकारी के द्वारा रिजर्व फारेस्ट की भूमि क्रमांक 984 को जांच किया गया जो महेशपुर के जंगल में होना पाया गया।

जंगल बचाने साढ़े चार सौ ग्रामीण पहुंचे कब्जा स्थल, अतिक्रमण हटाने का लिया निर्णय
छत्तीसगढ़ संवाददाता जशपुरनगर, 12 अगस्त। वन परिक्षेत्र पत्थलगांव के महेशपुर में रिजर्व फॉरेस्ट क्रमांक 984 में हुए सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा कर खेती करने वाले ग्राम पंचायत झिमकी के उपसरपंच सहित अन्य लोगों के खिलाफ ग्राम पंचायत महेशपुर के ग्रामीणों में गुस्सा है। यहां के लगभग साढ़े चार सौ ग्रामीण जंगल के भीतर एक साथ मिलकर पहुँचे और सभी ने नाराजगी जताते हुए अतिक्रमण हटाये जाने का फैसला लिया है। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों सहित वन समिति के सदस्य और पदाधिकारीगण शामिल थे। छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल के बाद यह दूसरा मामला है। जब ग्रामीण जंगल बचाने लामबंद हुए है। ग्रामीणों का कहना है कि वे जंगल बचाने के लिये किसी भी स्तर की लड़ाई लडऩे को तैयार है। लेकिन बिडंबना है कि ग्रामीणों के सजगता के बाद भी न वन विभाग और न ही प्रशासन इस गंभीर विषय पर ध्यान दे रहा हैं। वन समिति के अध्यक्ष अगस्तु बेक ने बताया कि जंगल के भीतर सैकडों एकड़ पर छोटे बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर खेत बनाकर उस स्थान पर धान सहित अन्य खेती की जा रही है। ग्रामीण तुलसी यदुमणि, वभुनेश्वर, मुनेश्वर, चूड़ामणि सहित अन्य लोगों ने बताया कि वे जंगल के कब्जा हटाने लंबे समय से प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये विभागीय सहित आलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को लिखित में शिकायत करने के बावजूद कोई जांच न कोई कार्रवाई नही किया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक जब जंगल के भीतर गये तो उनके साथ वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल थे। वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल के अवैध कटाई और उस रिजर्व फॉरेस्ट पर कब्जा देखकर हैरान रह गये। उसके बाद सभी लोग वापस आकर बैठक आहूत कर पंचनामा बनाया गया उसके बाद अवैध कब्जा और उस पर की गई खेती को राजसात करने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान वन विभाग के अधिकारी के द्वारा रिजर्व फारेस्ट की भूमि क्रमांक 984 को जांच किया गया जो महेशपुर के जंगल में होना पाया गया।