कबीर शोध पीठ से छपी 3 किताबों के लेखक, मुद्रक, प्रकाशक का पता लगाएगी सरकार

छत्तीसगढ़ संवाददाता रायपुर, 23 फरवरी। प्रदेश में महापुरुषों के व्यक्तित्व कृतित्व पर शोध के लिए गठित शोध पीठों की उपादेयता और लाखों के अनुदान खर्च का मामला प्रश्न काल में उठा । शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी स्वीकार किया कि इनके गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है । प्रश्न काल में भाजपा के अजय चंद्राकर ने कहा कि इन शोध पीठों में कितने पद हैं कितने रिक्त हैं? मंत्री ने कहा कि जब से इनका गठन किया गया कि तभी से पद रिक्त हैं। चंद्राकर ने इन शोध पीठों के दिए अनुदान की जानकारी मांगी तो मंत्री ने विवि को दिए कुल 146 करोड़ की जानकारी दी, और कहा कि शोध पीठों को नहीं दिया गया है। अजय ने कहा कि लिखित उत्तर में तो दी गई है। इस पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित कबीर पीठ द्वारा एक वर्ष में 3 पुस्तकों का लेखन प्रकाशन और इसके लिए अनुदान का प्रश्न किया। इसमें संत कबीर का इतिहास, संत कबीर का छत्तीसगढ़ और कहत कबीर शामिल है। इन पुस्तकों के मुद्रक और प्रकाशक कौन हैं। इसके उत्तर में उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि इन पुस्तकों के लिए शासन के द्वारा छपाई के लिए कोई अनुदान नहीं दिया गया है और न ही शासन के पास इनका कोई रिकार्ड है। इस पर चंद्राकर ने पूछा तो क्या यह किताबें जादू से छप गई हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि मुझे भी लगता है कि जादू से ही छपा होगा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी इन किताबों के संबंध में प्रश्न किया और पूछा कि इन किताबों को लिखने वाले विद्वान का नाम क्या है। इसके बाद मंत्री अग्रवाल ने कहा कि विभाग इस बात का पता लगाएगा कि ये किताबें कैसे छपी। हमें भी लगता है कि जादू से छप गईं। पता करके जानकारी दे देंगे। स्पीकर डॉ रमन सिंह ने कहा कि किताबें मिल जाएं ते विधायकों के भी दें दे।

कबीर शोध पीठ से छपी 3 किताबों के लेखक, मुद्रक, प्रकाशक का पता लगाएगी सरकार
छत्तीसगढ़ संवाददाता रायपुर, 23 फरवरी। प्रदेश में महापुरुषों के व्यक्तित्व कृतित्व पर शोध के लिए गठित शोध पीठों की उपादेयता और लाखों के अनुदान खर्च का मामला प्रश्न काल में उठा । शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी स्वीकार किया कि इनके गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है । प्रश्न काल में भाजपा के अजय चंद्राकर ने कहा कि इन शोध पीठों में कितने पद हैं कितने रिक्त हैं? मंत्री ने कहा कि जब से इनका गठन किया गया कि तभी से पद रिक्त हैं। चंद्राकर ने इन शोध पीठों के दिए अनुदान की जानकारी मांगी तो मंत्री ने विवि को दिए कुल 146 करोड़ की जानकारी दी, और कहा कि शोध पीठों को नहीं दिया गया है। अजय ने कहा कि लिखित उत्तर में तो दी गई है। इस पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित कबीर पीठ द्वारा एक वर्ष में 3 पुस्तकों का लेखन प्रकाशन और इसके लिए अनुदान का प्रश्न किया। इसमें संत कबीर का इतिहास, संत कबीर का छत्तीसगढ़ और कहत कबीर शामिल है। इन पुस्तकों के मुद्रक और प्रकाशक कौन हैं। इसके उत्तर में उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि इन पुस्तकों के लिए शासन के द्वारा छपाई के लिए कोई अनुदान नहीं दिया गया है और न ही शासन के पास इनका कोई रिकार्ड है। इस पर चंद्राकर ने पूछा तो क्या यह किताबें जादू से छप गई हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि मुझे भी लगता है कि जादू से ही छपा होगा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी इन किताबों के संबंध में प्रश्न किया और पूछा कि इन किताबों को लिखने वाले विद्वान का नाम क्या है। इसके बाद मंत्री अग्रवाल ने कहा कि विभाग इस बात का पता लगाएगा कि ये किताबें कैसे छपी। हमें भी लगता है कि जादू से छप गईं। पता करके जानकारी दे देंगे। स्पीकर डॉ रमन सिंह ने कहा कि किताबें मिल जाएं ते विधायकों के भी दें दे।