पदोन्नति आदेश का पालन नहीं कर रहे उप संचालक पशुपालन

छत्तीसगढ़ संवाददाता अंबिकापुर, 9 मार्च। सरगुजा जिले के पशुपालन विभाग में कर्मचारियों की पदोन्नति विवादों में घिर गई है। उप संचालक पशुपालन को पदोन्नति पश्चात एकतरफा कार्यमुक्त कर दिए जाने के बाद भी उन्होंने कर्मचारियों की पदोन्नति आदेश जारी कर दी। अब वे दावा कर रहे हैं कि मैंने पदोन्नति नहीं लेने का निर्णय लिया है। इस बाबत शासन को पत्र भी लिखा गया है, लेकिन एकतरफा कार्यमुक्त किए जाने के बाद पदोन्नति नहीं लेने शासन को पत्राचार किया गया है। सरगुजा जिले के उप संचालक पशुपालन डॉ. बीपी सतनामी का बीते पांच फरवरी 2024 को पदोन्नत आदेश जारी किया गया था। शासन स्तर से उन्हें संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के पद पर पदोन्नत कर मुख्यालय रायपुर में पदस्थ किया गया था। इस आदेश में एक और उपसंचालक पशुपालन का नाम शामिल था। पदोन्नति पश्चात नवीन स्थल पर पदस्थापना के आदेश के बाद भी पदभार ग्रहण नहीं करने पर राज्य सरकार ने गंभीरता दिखाई थी। शासन स्तर से एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें पदोन्नति प्राप्त अधिकारियों को तत्काल नए स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए थे। यह आदेश 20 फरवरी को जारी हुआ था। इसके बावजूद पदोन्नत अधिकारी ने नए कार्य स्थल पर पदभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में राज्य शासन के पशुपालन विभाग की ओर से सरगुजा के उपसंचालक पशुपालन के साथ ही एक अन्य अधिकारी को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया था। यह आदेश एक मार्च को ही जारी कर दिया गया था। एकतरफ़ा कार्य मुक्ति के बावजूद आदेश के परिपालन में इन्होंने प्रभार नहीं सौंपा और न ही नए स्थल पर कार्यभार ग्रहण किया। राज्य शासन द्वारा आदेश का पालन करने के लिए एकतरफा कार्यमुक्त करने के बाद चार मार्च को उपसंचालक पशुपालन ने पशु चिकित्सा विभाग के नौ कर्मचारियों की पदोन्नति कर दी। बाकायदा इसका आदेश भी जारी किया गया। अब इस पदोन्नति को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। आरोप है कि शासन ने जब एकतरफ़ा कार्य मुक्त कर दिया है, तब पदोन्नति करने का अधिकार नहीं रह जाता है। यह सीधे-सीधे नियमों की अवहेलना है। उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. बीपी सतनामी ने बताया कि मैंने शासन को पत्र लिखकर पदोन्नति नहीं लेने की जानकारी दे दी है। नियमों के तहत कार्य हो रहे हैं।

पदोन्नति आदेश का पालन नहीं  कर रहे उप संचालक पशुपालन
छत्तीसगढ़ संवाददाता अंबिकापुर, 9 मार्च। सरगुजा जिले के पशुपालन विभाग में कर्मचारियों की पदोन्नति विवादों में घिर गई है। उप संचालक पशुपालन को पदोन्नति पश्चात एकतरफा कार्यमुक्त कर दिए जाने के बाद भी उन्होंने कर्मचारियों की पदोन्नति आदेश जारी कर दी। अब वे दावा कर रहे हैं कि मैंने पदोन्नति नहीं लेने का निर्णय लिया है। इस बाबत शासन को पत्र भी लिखा गया है, लेकिन एकतरफा कार्यमुक्त किए जाने के बाद पदोन्नति नहीं लेने शासन को पत्राचार किया गया है। सरगुजा जिले के उप संचालक पशुपालन डॉ. बीपी सतनामी का बीते पांच फरवरी 2024 को पदोन्नत आदेश जारी किया गया था। शासन स्तर से उन्हें संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के पद पर पदोन्नत कर मुख्यालय रायपुर में पदस्थ किया गया था। इस आदेश में एक और उपसंचालक पशुपालन का नाम शामिल था। पदोन्नति पश्चात नवीन स्थल पर पदस्थापना के आदेश के बाद भी पदभार ग्रहण नहीं करने पर राज्य सरकार ने गंभीरता दिखाई थी। शासन स्तर से एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें पदोन्नति प्राप्त अधिकारियों को तत्काल नए स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए थे। यह आदेश 20 फरवरी को जारी हुआ था। इसके बावजूद पदोन्नत अधिकारी ने नए कार्य स्थल पर पदभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में राज्य शासन के पशुपालन विभाग की ओर से सरगुजा के उपसंचालक पशुपालन के साथ ही एक अन्य अधिकारी को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया था। यह आदेश एक मार्च को ही जारी कर दिया गया था। एकतरफ़ा कार्य मुक्ति के बावजूद आदेश के परिपालन में इन्होंने प्रभार नहीं सौंपा और न ही नए स्थल पर कार्यभार ग्रहण किया। राज्य शासन द्वारा आदेश का पालन करने के लिए एकतरफा कार्यमुक्त करने के बाद चार मार्च को उपसंचालक पशुपालन ने पशु चिकित्सा विभाग के नौ कर्मचारियों की पदोन्नति कर दी। बाकायदा इसका आदेश भी जारी किया गया। अब इस पदोन्नति को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। आरोप है कि शासन ने जब एकतरफ़ा कार्य मुक्त कर दिया है, तब पदोन्नति करने का अधिकार नहीं रह जाता है। यह सीधे-सीधे नियमों की अवहेलना है। उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. बीपी सतनामी ने बताया कि मैंने शासन को पत्र लिखकर पदोन्नति नहीं लेने की जानकारी दे दी है। नियमों के तहत कार्य हो रहे हैं।